रविवार, 6 जनवरी 2019



             (३९)     गुरु और स्वामी की सीख अवश्य  मानिये

सहज सुहृद  गुर स्वामि सिख जो न करइ सिर मानि |
सो  पछिताइ  अघाइ उर  अवसि होइ हित  हानि ||
अर्थ: स्वाभाविक ही हित चाहने वाले गुरु और स्वामी की सीख को जो सिर चढ़ाकर नहीं मानता ,वह हृदय में खूब पछताता है और उसके हित की हानि अवश्य होती है |
        इसका तातपर्य है कि जिस व्यक्ति  अपने स्वामी एवं गुरु के द्वारा कही गई बातों को नहीं मानता   उसे  हानि अवश्य  ही होना है  क्योंकि यह हमारे परम हितेषी होते हैं , यह सदैव ही हमारा हित चाहने वाले होते हैं।  हम यदि इनकी बात पर ध्यान देते हैं तो हम आगे आनी वाली बहुत सी समस्याओं से बच सकते हैं। 









































जीने की  कला - इससे हमें सीखने को मिलता है कि  हमें सदैव अपने गुरुजन एवं स्वामी की सीख अवश्य मानना चाहिए। इससे हमारे जीवन में अवनति नही हो सकती और हम सदैव प्रगति के पथ पर अग्रसर रह सकते हैं।