शुक्रवार, 5 मई 2023

(81)राम कृपा नासहि सब रोगा,

राम कृपा नासहि सब रोगा,
जौं एहि भाँति बनै संजोगा।
सदगुर बैद बचन बिस्वासा,
संजम यह न बिषय कै आसा।



कागभुशुण्डि जी ने गरुण जी को श्री रामचरित मानस में कई मानस रोग बताये तथा यह बताते हुए कहा कि किस प्रकार इन रोगों से बचा जा सकता है)

यदि श्री रामजी की कृपा से इस प्रकार का संयोग बन जाय तो ये सब रोग नष्ट हो जाएंगे । इसके लिए सद्गुरु रूपी वैद्य के वचन में विश्वास हो।विषयो की आशा न करे,यही संयम (परहेज) हो।
इसका तात्पर्य है कि  सद्गुरु रूपी वैद्य के वचनो पर विश्वास हो,उनमे अटूट श्रद्धा हो,तथा हर सम्भव उनके आदर्शो को जीवन में उतारने का दृढ निश्चय हो ,तभी इस प्रकार का संयोग बनता है फिर निश्चित रूप से सद्गुरु की कृपा से इन रोगों का नाश हो सकता है। सद्गुरु के वचनों पर विश्वास होना फिर उनके अनुसार कार्य करना आवश्यक है परंतु शर्त इतनी सी है कि विषय भोग का त्याग करना होगा अर्थात इसका परहेज आवश्यक है तभी ईश्वर की कृपा हम अपने रोगों का शमन कर पाएंगे।
जीने की कला= इससे हमें सीख मिलती है कि यदि हम सद्गुरु के कहे अनुसार कार्य करें और विषय अर्थात काम, क्रोध,लोभ, मोह एवं ईर्ष्या से दूर रहें तो  हम सदैव शारीरिक एवं मानसिक रोग से कभी पीड़ित नहीं होंगे ।,

जय श्री राम जी की
       पंडित प्रताप भानु शर्मा