बुधवार, 5 अक्तूबर 2022

(74)धन संपत्ति एवं लक्ष्मी प्राप्ति हेतु मूल मंत्र




संसार में हर कोई धन प्राप्त करना चाहता है और इसके लिए प्रयासरत भी रहता है  कोई इतना धन पाना चाहता है कि उसकी आने वाली पीढ़ियां भी सुख भोग सकें अथवा कोई केवल इतना धन चाहता है जिससे उसके परिवार का भरण पोषण अच्छी तरह होता रहे परंतु  हर किसी को जीवन-यापन के लिए धन की आवश्यकता बनी रहती है ।

शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी प्राप्त करने हेतु उद्यम अर्थात किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर  प्रयास करना ही है परंतु हमारा परिश्रम सफल हो इसके लिए प्रभु की कृपा की आवश्यकता है जिसे प्राप्त करने हेतु हमारे शास्त्रों में कई मंत्र बताए गए हैं  धन संपत्ति प्राप्ति एवं दरिद्रता दूर करने हेतु  चौपाई के रूप में मंत्र इस प्रकार है:

'जिमि सरिता सागर महुं जाही।
जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख संपति बिनहिं बोलाएं।
धरमसील पहिं जाहिं सुभाएं।।'

यह मंत्र श्री रामचरित मानस के बालकांड से लिया गया है. इसका तात्पर्य है कि नदियां बहती हुई सागर की ओर ही जाती हैं, चाहे उनके मन में उधर जाने की कामना हो या नहीं. ठीक उसी तरह, सुख-संपत्ति भी बिना चाहे ही धर्मशील और विचारवान लोगों के पास चली आती हैं.

जीने की कला = इस चौपाई के माध्यम से हमें सीख मिलती है कि जब हम अपने धर्म का अनुसरण करते हुए किसी भी कार्य को सोच विचार कर करेंगे तो हमें निश्चित ही धन एवं  सफलता प्राप्त होगी ।

                 जय राम जी की

                दशहरे की शुभकामनाएं ।


                     पंडित  प्रताप भानु शर्मा