। नाम राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु। जो सुमिरत भयो भाँग तें तुलसी तुलसीदासु। ।
भावार्थ-
कलियुग में राम का नाम कल्पतरु और कल्याण का निवास है, जिसको स्मरण करने से भाँग-सा (निकृष्ट) तुलसीदास तुलसी के समान (पवित्र) हो गया॥ 26॥
गोस्वामी तुलसीदास जी ने इस चौपाई के माध्यम से प्रभु श्री राम के नाम की महिमा को प्रकट किया है। कलियुग अर्थात वर्तमान समय में केवल राम का नाम ही एक ऐसा कल्प वृक्ष है जिससे जो चाहे प्राप्त किया जा सकता है। इसी नाम के प्रभाव से चित्रकूट में तुलसीदास जी को हनुमानजी के माध्यम से प्रभु श्री राम जी के दर्शन प्राप्त हुए एवं आज बाबा तुलसी का अनुपम स्थान है। नाम की महिमा का जितना गुणगान करें, कम है।
कलयुग केवल नाम अधारा
सुमिरि सुमिरि नर उतरिही पारा।
कलयुग में केवल नाम का ही आधार है । कलयुग में दान यज्ञ तप करने से जो फल नहीं मिलेगा वह केवल नाम के जाप से मिल जायेगा । अतः नाम सबसे महत्वपूर्ण है ।
जीने की कला= इससे हमे जीने की कला सीखने मिलती है कि। हमे नाम जप करना चाहिए। नाम कोई भी हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। नाम आपकी पसंद का होना चाहिए । उसका प्रभाव आपके जीवन पर अवश्य पड़ेगा। आपका जीवन खुशहाल हो जायेगा।
जय राम जी की
पण्डित प्रताप भानु शर्मा