शनिवार, 23 फ़रवरी 2019




          

                      (४० ) बिना तेज के पुरुष की अवशि अवज्ञा होय,  

                    बिना तेज के पुरुष की अवशि अवज्ञा होय,                                               आगि बुझे ज्यों राख की आप छुवै सब कोय।

      तेजहीन व्यक्ति की बात को कोई भी व्यक्ति महत्व नहीं देता है, उसकी आज्ञा का पालन कोई नहीं करता है। ठीक वैसे ही जैसे, जब राख की आग बुझ जाती हैं, तो उसे हर कोई छूने लगता है।

     इसका तात्पर्य है कि मनुष्य को सदैव इस प्रकार से आहार विहार दिनचर्या अपनाना चाहिए जिससे वह तेजस्वी बना रहे।  किसी भी व्यक्ति को प्रभावित करने हेतु आपके आत्मिक तेज की आवश्यकता है जो कि ज्ञान से ही प्राप्त किया जा सकता है ।  यदि आपके आचार विचार सुन्दर हैं तो आप सदैव ओज  से भरे हुए रहेंगे और आपके चेहरे की कान्ति और ज्ञान रुपी  आत्मिक तेज  किसी को भी प्रभावित कर आपके अनुसार ही कार्य करने के लिए मजबूर कर देगा।  इसके विपरीत  जिसके आचार विचार सही नहीं होते जो सदैव  गलत सोच रखता है, इस प्रकार के तेजहीन मूर्ख अज्ञानी  व्यक्ति की आज्ञा का कोई पालन नहीं करता। 

   इससे हमें जीने की कला सीखने को मिलती है कि हमेशा बुद्धि का उपयोग करना चाहिए क्योंकि ज्ञानी व्यक्ति की बातों का ही प्रभाव पड़ता है मूर्ख व्यक्ति कितनी भी कोशिश करे उसकी बात हमेशा प्रभावहीन ही रहती है।  

                                                         जय राम जी की 
     

1 टिप्पणी:

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