बुधवार, 12 मई 2021

(58)होइहि सोइ जो राम रचि राखा

 

होइहि सोइ जो राम रचि राखा |

को करि तर्क बढ़ावै साखा॥


भावार्थ -जो कुछ राम ने रच रखा है, वही होगा। तर्क करके कौन शाखा (विस्तार) बढ़ावे।

  इसका तात्पर्य है कि उस परम पिता परमात्मा ने जो रचना करी है और इसके बारे में जो सोच रखा है, वही होगा | इस सम्बन्ध में कोई कितना ही तर्क क्यों ना करे सभी के तर्क बेकार हैं अर्थात तर्क करने से कोई लाभ नहीं है यह केवल तर्कों की शाखा बढ़ाना ही है

   अभी  हमारा देश कोरोना महामारी की दूसरी खतरनाक लहर से गुजर रहा है | सम्पूर्ण भारत में भय का वातावरण है | लॉकडाउन होने के कारण सभी अपने घर पर हैं और प्रतिदिन किसी परिजन, मित्रों को खोने की खबर मिल रही हैं |

   ऐसे भयपूर्ण वातावरण में श्री रामचरित मानस की यह चौपाई एक सम्बल प्रदान करती है कि उस परम पिता परमात्मा को जो करना है वही होगा इसके अतिरिक्त आपके सोचने से कुछ नहीं होगा | अतः हम इस परिस्थिति में अधिक न सोचते हुये केवल अपने कर्मो का पालन करते रहें और परम पिता  परमात्मा को उसके कर्मों का पालन करने दें | इसमें ही सभी का कल्याण है |

    जय राम जी की

                         पंडित प्रताप भानु शर्मा 

  

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