बुधवार, 26 अप्रैल 2023

(80) चौदह प्राणी जो कि जीते ही मुरदे के समान हैं।


रामचरितमानस

सदा रोगबस संतत क्रोधी।          बिष्नु बिमुख श्रुति संत बिरोधी॥

तनु पोषक निंदक अघ खानी।
जीवत सव सम चौदह प्रानी

भावार्थ

नित्य का रोगी, निरंतर क्रोधयुक्त रहने वाला, भगवान विष्णु से विमुख, वेद और संतों का विरोधी, अपने ही शरीर का पोषण करने वाला, पराई निंदा करने वाला और पाप की खान (महान पापी) -  चौदह प्राणी जीते ही मुरदे के समान हैं।

  यह चौपाई श्री रामचरित मानस के लंका कांड से अंगद रावण संवाद  की है जिसमें उपरोक्तानुसार 14 प्रकार के व्यक्तियों को जीते जी मुर्दे के समान बताया गया है ।। आप स्वयं अपना आंकलन कर के देख सकते हैं कि आप जिंदा हैं या मुर्दा के समान । मृत व्यक्ति किसी का भला कर सकता है क्या ? अतः सबसे पहले स्वयं जीवित हों फिर अपने समाज और आस पास के व्यक्तियों को अपने सनातन धर्म के प्रति जीवित करके सच्चे सनातनी होने का परिचय देवें |

  जय राम जी की।

जय परशुराम  ।

                      पंडित प्रताप भानु शर्मा 


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