शनिवार, 27 अक्तूबर 2018




(३५) एक स्थिति जब ज्ञानी और मूर्ख एक समान होते हैं। 


   काम क्रोध मद लोभ की, जौ लौं मन में खान ।
    तौ लौं पण्डित मूरखौं, तुलसी एक समान ।


तुलसी दास जी कहते हैं कि  जब तक काम,क्रोध, घमंड और लालच व्यक्ति के मन में भरे हुए हैं तब तक ज्ञानी और मूर्ख व्यक्ति के बीच में किसी भी प्रकार का अंतर नहीं होता है , दोनों एक जैसे हो जाते हैं।  इसका तात्पर्य है कि जब किसी व्यक्ति के मन में काम, क्रोध, लालच, घमंड आ जाता है तब वह व्यक्ति कितना भी ज्ञानी क्यों न हो उसका ज्ञान नष्ट होकर मूर्ख की तरह हो जाता है अर्थात  उसकी बुद्धी को भ्रष्ट हो जाती है जिससे उसके द्वारा किये गए कार्य मूर्खतापूर्ण ही हो जाते हैं।  इसीलिए गोस्वामीजी द्वारा इस स्थिति को ज्ञानी और मूर्ख की एक समान स्थिति कहा गया है। 
जीने की कला -  इससे हमें सीखने को मिलता है कि हम काम,क्रोध,लालच और घमंड से दूर रहते हुए अपने कर्तव्यों के पालन में लगे रहना चाहिए। हमें प्रयास करते रहना चाहिए कि यह हम से दूर ही रहें। 


                                                                        जय राम जी की 


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