भयदायक खल कै प्रिय वानी ।जिमि अकाल के कुसुम भवानी।
अर्थात -नीच ब्यक्ति की नम्रता बहुत दुखदायी होती हैजैसे अंकुश धनुस साॅप और बिल्ली का झुकना।दुश्ट की मीठी बोली उसी तरह डरावनी होती है जैसे बिना ऋतु के फूल।
इसका तात्पर्य है कि आज के सामाजिक परिवेश में हम इस प्रकार के दुष्ट स्वाभाव वाले व्यक्ति बहुतायत मिलते हैं जो हमारे सामने तो नम्रता दिखाते हैं और पीठ पीछे वार कर देते हैं , यह केवल अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं। अतः गोस्वामी जी द्वारा हमें इस प्रकार के व्यक्तियों से सावधान रहने के लिए चेतावनी दी गई है कि यदि इस प्रकार के दुष्ट व्यक्ति अचानक नम्र होकर हमसे मिलते हैं तो समझ जाना चाहिए कि यह हमें दुखदाई होने वाला है। यदि हम इनके नम्रतापूर्ण व्यव्हार को देखते हुए इनकी बातों में आकर कोई कार्य करते हैं तो यह हमारे लिए संकट उत्पन्न कर सकता है।
जीने की कला - इस चौपाई के माध्यम से हमें सीखने को मिलता है कि यदि दुष्ट व्यक्ति नम्र होकर व्यव्हार करता है तो हमें सावधान रहने की आवश्यकता है। यह हमें संकट उत्पन्न कर सकता है।
जय राम जी की
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