तनु गुन धन महिमा धरम,। तेहि बिनु जेहि अभियान। तुलसी जिअत बिडंबना, परिनामहु गत जान।।
अर्थ- तन की सुंदरता, सद्गुण, धन, सम्मान और धर्म आदि के बिना भी जिन्हें अभिमान होता है, ऐसे लोगों का जीवन ही दुविधाओं से भरा होता है, जिसका परिणाम बुरा ही होता है।
इसका तात्पर्य है कि आज के सामाजिक परिवेश में कुछ व्यक्ति सुंदर नहीं होते हुए भी अपने आपको सुंदर समझते हैं इसी प्रकार गुणी न होने पर गुणी, धन न होने पर भी धनी मान न होने पर भी सम्मानित , धर्म का पालन न करने पर भी स्वयं को धार्मिक समझकर अभिमान करते हैं । गोस्वामी जी कहते हैं इस प्रकार के व्यक्तियों का जीवन सदैव समस्याओं से घिरा रहता है और अंत में उसका परिणाम कष्टप्रद रहता है ।
जीने की कला = वर्तमान समय में एक कहावत चलती है, कि जो दिखता है, वह बिकता है। ऐसे में तुलसीदास जी ने दिखावे के पीछे भागने वालों के लिए भी अपने इस दोहे में शिक्षा दी है कि हमको दिखावे से दूर रहकर वास्तविकता में रहना चाहिए अन्यथा हम परेशानी में पड़ सकते हैं ।
जय राम जी की
पंडित प्रताप भानु शर्मा
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