(७) प्यार केवल भगवान से करें
जननी जनक बंधु सुत दारा । तनु धनु भवन सुहृदु परिवारा।
सब कर ममता ताग बटोरी । मम पद मनहिं बाँधि बर डोरी।
श्री राम चरित मानस के एक प्रसंग में प्रभु श्री राम विभीषण को समझाते हुए कहते हैं कि माता,पिता ,भाई, पुत्र, पति-पत्नी, शरीर,धन मकान,यार-दोस्त एवं कुटुम्बीजन, इन सबके ममता के धागे बटकर (गूँथ कर ) उस डोरी को मेरे चरणों में लगा दो। अर्थात इन सबके प्रति कर्त्तव्य पालन करते हुए मन मेरे चरणों में लगा रहे। इसका तात्पर्य है कि सभी पर ममता रखते हुए मोह को त्यागते हुए सभी के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए प्यार केवल भगवान से करें , क्योंकि सच्चा प्यार केवल उसी के चरणों से ही प्राप्त होगा जिसमें किसी भी प्रकार के धोखे की निमिष मात्र भी आशंका नहीं रहेगी।
श्री राम चरित मानस के एक प्रसंग में प्रभु श्री राम विभीषण को समझाते हुए कहते हैं कि माता,पिता ,भाई, पुत्र, पति-पत्नी, शरीर,धन मकान,यार-दोस्त एवं कुटुम्बीजन, इन सबके ममता के धागे बटकर (गूँथ कर ) उस डोरी को मेरे चरणों में लगा दो। अर्थात इन सबके प्रति कर्त्तव्य पालन करते हुए मन मेरे चरणों में लगा रहे। इसका तात्पर्य है कि सभी पर ममता रखते हुए मोह को त्यागते हुए सभी के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए प्यार केवल भगवान से करें , क्योंकि सच्चा प्यार केवल उसी के चरणों से ही प्राप्त होगा जिसमें किसी भी प्रकार के धोखे की निमिष मात्र भी आशंका नहीं रहेगी।
Bahuth sahi bat....
जवाब देंहटाएंBahuth sahi bat....
जवाब देंहटाएंGood
जवाब देंहटाएंSriram jai ram jai jai ram 🙏
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