गुरुवार, 20 सितंबर 2018


    (२६)  तुलसी जसि भवितव्यता तैसी मिलई सहाइ  



तुलसी जसि भवितव्यता तैसी मिलई सहाइ
आपुनु आवइ ताहि पहिं ताहि तहाॅ ले जाइ।

अर्थात -जैसी भवितव्यता (होनहार ) होती है वैसी हीं सहायता मिलती है। या तो वह सहायता अपने आप स्वयं आ जाती है या वह व्यक्ति  को वहाॅ ले जाती है।

         इसका तात्पर्य है कि हमारे साथ जो भी होना होता है हमें उसी प्रकार की सहायता अर्थात उसी से समबन्धित सहयोग अपने आप मिल जाता है।  यह सहयोग, किसी व्यक्ति के रूप में अथवा परिस्थिति के रूप में हमें उसी घटना की तरफ खींचकर  ले जाता है जो हमारे साथ घटित होना है।  हमारे द्वारा किये गए  पिछले कई जन्मों के  कर्मों के निर्धारण अनुसार होनहार हमारे लिए अच्छी भी हो सकती है और हमारे लिए हानिकारक भी।  यदि हमें किसी कार्य को करने से लाभ होना है तो उसी प्रकार के सहयोगी हमें अपने आप मिल जाते हैं।  इसी प्रकार यदि हानि होना है तो भी  इस   प्रकार की परिस्थितयां अपने आप निर्मित होती हैं जो कि हम समझ नहीं सकते हैं। 

      यदि  हम अच्छी विचारधारा के साथ  सद्कर्म करते रहेंगे तो हमारे साथ होनी अच्छी ही घटित होगी जिसके लिए सहायता अपने आप मिलती जाएगी।  

                                           जय राम जी की 
                                         (प्रताप भानु शर्मा )



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