बुधवार, 5 सितंबर 2018


(२१)शिक्षक दिवस (०५ सितम्बर)



 बंदउं गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।
महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर।।
 
भावार्थ:- मैं उन गुरु महाराज के चरणकमल की वंदना करता हूं, जो कृपा के समुद्र और नर रूप में श्री हरि ही हैं और जिनके वचन महामोह रूपी घने अंधकार का नाश करने के लिए सूर्य किरणों के समूह हैं॥5॥
          इसका तात्पर्य है कि गुरु ही एक ऐसा व्यक्तित्व है जो हमारे अज्ञान रुपी अंधकार को नष्ट कर ज्ञान रुपी ज्योति को  हमारे ह्रदय रुपी पटल पर प्रकाशमान करता है।  गुरु हमारे जीवन में एक पथ प्रदर्शक के रूप में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करता है।  
        
     गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिलै न मोष।
     गुरु बिन लखै न सत्य को, गुरु बिन मैटैं न दोष।।

    कबीर दास जि कहते है – हे सांसारिक प्राणीयों। बिना गुरु के ज्ञान का मिलना असंभव है। तब टतक मनुष्य अज्ञान रुपी अंधकार मे भटकता हुआ मायारूपी सांसारिक बन्धनो मे जकडा राहता है जब तक कि गुरु कि कृपा नहीं प्राप्तहोती।
मोक्ष रुपी मार्ग दिखलाने वाले गुरु हैं। बिना गुरु के सत्य एवम् असत्य का ज्ञान नही होता। उचित और अनुचित के भेद का ज्ञान नहीं होता फिर मोक्ष कैसे प्राप्त होगा ? अतः गुरु कि शरण मे जाओ। गुरु ही सच्ची राह दिखाएंगे।
           आज शिक्षक दिवस के अवसर पर समस्त गुरु के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम। 
                                                                         (प्रताप भानु शर्मा)
                                         
               
             


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