(१७) इन चारों की बात बिना सोच विचार के मानना चाहिए
* मातु पिता गुर प्रभु कै बानी ।
बिनहिं बिचार करिअ सुभ जानी ll
भावार्थ:-माता, पिता, गुरु और स्वामी की बात को बिना ही विचारे शुभ समझकर करना (मानना) चाहिए।
इसका तात्पर्य है कि माता,पिता,गुरु, और स्वामी इन चारों की बात बिना सोच विचार अर्थात किसी भी तर्क के बिना मानना चाहिए, क्योकि ये हमारे परम हितेषी होते हैं। माता-पिता प्रथम गुरु हैं जिनकी शिक्षा हमारे जीवन को सुसंस्कृत बनाती है। इसके उपरांत गुरु की शिक्षा से हम ज्ञान प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त सबसे महत्वपूर्ण हैं स्वामी अर्थात हमारी आत्मा, जो कि परमात्मा का ही एक अंश है। अतः हमारी अंतरात्मा की आवाज को सुनकर बिना बिचार किये उसके अनुसार कार्य करना चाहिए।
अतः इस चौपाई के माध्यम से यही सन्देश प्राप्त होता है कि इन चारों की बात बिना किसी तर्क के मान लेने पर हमारा अहित नहीं हो सकता। इनके अतिरिक्त की स्थिति का बर्णन कविराज गिरिधर द्वारा इस प्रकार किया है।
बिना विचारे जो करै , सो पाछे पछताये।
काम बिगारै आपनो , जग में होत हंसाय।
अर्थात बिना सोच विचार कर किये गए कार्य को करने के उपरांत परिणाम अनुकूल प्राप्त ना होने पर हमें पश्चाताप होता है, जिससे हमारी कीर्ति धूमिल होती है। अतः इन चार की बातों के अतिरिक्त सभी की बातों को सोच समझकर विचार करने के उपरांत ही कार्यान्वित रूप देना चाहिए।
जय राम जी की
(प्रताप भानु शर्मा)
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