गुरुवार, 2 अगस्त 2018

   

  (११) सुंदरता का धोखा 

                   
                      तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर  सुंदर केकेहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि।

            अर्थात गोस्वामीजी कहते हैं कि सुंदर वेष देखकर न केवल मूर्ख अपितु चतुर मनुष्य भी धोखा खा जाते हैं।  जिस प्रकार सुंदर मोर के वचन अमृत के समान मधुर हैं परन्तु उसका आहार सांप है।  इसका तात्पर्य है  कि  यह आवश्यक नहीं है कि  बाहर से दिखाई देने वाली सुंदरता  के पीछे भी सुंदरता ही है।  बाहर की सुंदरता आपको धोखा दे सकती है।  अतः आपको इस प्रकार की सुंदरता से सावधान रहने की आवश्यकता है ।   सुंदरता के आवरण को देखकर मूर्ख मनुष्य   धोखे में आकर अपना सब कुछ नष्ट कर देते हैं  साथ ही चतुर बुद्धिमान  मनुष्य भी सुंदरता के जाल  में फंसकर जीवन नर्क बना लेते हैं।  ऐसा आवश्यक नहीं है कि  सुंदरता सदैव  धोखा देती है, परन्तु उसकी पहचान गुणों के माध्यम से  करने के पश्चात ही हम इस धोखे  से बच सकते हैं।                                                                               जय  राम जी की 

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