(१९) ऊंच निवासु नीच करतूति, देखि न सकहि पराई विभूति
आज के सामाजिक परिवेश में ऊंचे पद पर आसीन व्यक्ति भी इस प्रकार के कार्य करते हैं जो उनके पद के अनुरूप नहीं होते एवं वे भी अन्य व्यक्तियों की प्रसिद्धि से ईर्ष्या करते हैं। परन्तु उन्हें इस प्रकार के कृत्य करने के पूर्व निज स्वार्थ को त्यागकर लोकहित तथा परोपकार के बारे में विचार करना चाहिए तभी यह चौपाई सार्थक सिद्ध होगी ।
जय राम जी की
प्रताप भानु शर्मा
Nice.. lines..
जवाब देंहटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंकिस कांड से लिया गया है यह
जवाब देंहटाएंAyodhya Kand
हटाएंअयोध्या कांड से लिया गया है
जवाब देंहटाएंजय श्री राम जी
Jai shri ram
जवाब देंहटाएंBahut sundar
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