शनिवार, 4 अगस्त 2018


(१३) कपटी मित्रों से साबधान 


   मार खोज लै सौंह करि , करि मत लाज न ग्रास।

     मुए नीच ते मीच बिनु , जे इनके विश्वास।। 



   अर्थात वह निर्बुद्धि मनुष्य ही कपटियों और ढोंगियों का शिकार होते हैं।  ऐसे कपटी लोग शपथ लेकर मित्र बनते हैं और फिर मौका मिलते ही वार करते हैं।  ऐसे व्यक्तियों  को न ही भगवान्  का भय होता है और न ही समाज का भय।  गोस्वामी जी कहते हैं कि ऐसे व्यक्तियों से बचना चाहिए। 
     आज के सामाजिक परिवेश में हमें  इस प्रकार के व्यक्ति बहुतायत मिलते हैं, जो केवल निज स्वार्थ पूर्ती के लिए ही  मित्रता करते हैं।  वे  कपटी व्यक्ति सदैव  मित्रता  निभाने  की सौगंध लेते हैं, एवं मित्र होने  का  दिखावा करते हैं।  ऐसे व्यक्तियों का  स्वाभिमान  नहीं  होता, उन्हें समाज का भय नहीं होता।  ऐसे व्यक्ति अवसर पाकर आपको हानि पहुंचा सकते हैं।  अतः इस प्रकार के व्यक्तियों को पहचान कर उनसे बचना चाहिए इसी में बुुद्धिमानी है । 

                                                                                                        जय राम जी की

    

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