शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021

(49) कर्म के विना कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता

 'सकल पदारथ हैं जग माहीं।

 करमहीन नर पावत नाहीं।


अर्थ - इस दुनिया में सारी वस्तुएँ प्राप्त की जा सकती हैं लेकिन वे कर्महीन व्यक्ति को कभी नहीं मिलती हैं।

  इसका तात्पर्य  है कि इस संसार में सभी चीजें उपलब्ध हैं परन्तु यह उन्हें ही प्राप्त होती हैं जो कर्म करता है | जो कर्म नहीं करते उन्हें कुछ भी प्राप्त नहीं होता जैसे भोजन के लिए भी व्यक्ति को कर्म करना पड़ता है, उसे पचाने के लिए भी मेहनत करना पड़ती है | जो व्यक्ति कर्म नहीं करते और केवल भाग्य को ही कोसते रहते हैं, ऐसे व्यक्ति सदैव दुखी ही रहते हैं |
जीने की कला - इससे हमें यह सीख मिलती है कि हमें यदि कुछ हासिल करना है तो उसके लिए कर्म करना ही पड़ेगा | विना कर्म किये कुछ भी हासिल नहीं होगा जिससे हमारा जीवन दुःखमय ही बना रहेगा |

जय राम जी की
                 
                    पंडित प्रताप भानु शर्मा 
        





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