' जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू॥'
अर्थ - जिसका जिस पर सच्चा स्नेह होता है वह उसे अवश्य मिलता है इसमें कोई संदेह नहीं है |
इसका तात्पर्य है कि यदि हमारा किसी के प्रति सच्चा स्नेह होता है तो वह हमें अवश्य ही मिलता है | यहाँ सच्चे स्नेह से तात्पर्य वासना रहित आत्मिक आकर्षण से उत्पन्न स्नेह से है जो कि एक अलौकिक प्रेम है और इसमें उस परम पिता परमात्मा की इच्छा भी समाहित है,
यदि इस प्रकार का स्नेह होता है तो वह अवश्य ही प्राप्त होता है |
जीने की कला - इससे हमें सीख मिलती है कि आज के समय में वासना पूर्ण आकर्षण से दूर रहकर यदि सच्चा स्नेह किया जाता है तो वह हमें अवश्य ही प्राप्त होता है जिसमें उस परम पिता परमात्मा की इच्छा भी सम्मिलित रहती है |
जय राम जी की
पंडित प्रताप भानु शर्मा
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