बचन वेष क्या जानिए, मनमलीन नर नारि। सूपनखा मृग पूतना, दस मुख प्रमुख विचारि।
अर्थ -वाणी और वेश से किसी मन के मैले स्त्री या पुरुष को जानना संभव नहीं है। सूपनखा, मारीचि, रावण और पूतना ने सुंदर वेश धरे पर उनकी नीयत फिर भी मलीन ही थी |
इस चौपाई के माध्यम से तुलसीदास जी कहना चाहते हैं कि किसी व्यक्ति को उसके मीठे वचन और पहनावे से आप उसकी नियत के बारे में नहीं जान सकते अर्थात यदि कोई व्यक्ति आप से बहुत अच्छे तरीके से बात करता है और उसकी ड्रेस भी बहुत महंगी है जो आपको प्रभावित कर सकती है परन्तु हो सकता है कि उसका उद्देश्य आपको हानि पहुंचाने का हो |
जीने क़ी कला - इससे हमें सीखने को मिलता है कि किसी भी व्यक्ति के बोलने और दिखने पर न जाकर उसके उद्देश्य के बारे में पहचान करके ही व्यवहार किया जावे तो ही उचित होगा |
जय राम जी की
पं• प्रताप भानु शर्मा
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