करम प्रधान विस्व करि राखा,
जो जस करई सो तस फलु चाखा
अर्थ - इस संसार को कर्म प्रधान बना रखा है | जो भी जैसा कर्म करते है उन्हें वैसा ही फल अर्थात परिणाम मिलता है |
इसका तात्पर्य है कि इस संसार में कर्म ही प्रधान है | जो अच्छे कर्म करते हैं उन्हें परिणाम भी अच्छे ही प्राप्त होते हैं, इसके विपरीत बुरे कर्मों का परिणाम भी बुरा ही प्राप्त होता है | यहाँ अच्छे कर्मों से तात्पर्य है कि जो काम भी आप कर रहे हैं उसको यह विचार करके करना कि कोई है जो हमें देख रहा है | हम जो भी कार्य करें उसे निःस्वार्थ भाव से पूर्ण ईमानदारी पूर्ण निष्ठा के साथ करेंगे तो यह कर्म आपके लिए निश्चित ही अच्छे परिणाम लेकर आएगा | कर्म केवल जीविकोपार्जन का साधन मात्र ही नहीं होना चाहिए| यहाँ कर्म से तात्पर्य आपके परिवार,आपके रिश्तेदार, आपके मित्र, आपका देश, के प्रति कर्तव्यों का पालन करना भी है |
जीने की कला - इससे हमें यह सीखने को मिलता है कि हमारे कर्म ही हमारी पहचान हैँ जो हमें उत्थान की ओर ले जाते हैं इसके विपरीत बुरे कर्म हमें पतन की ओर ले जाते हैं | हमें हमेशा अच्छे कर्म ही करना चाहिए |
जय राम जी की
पंडित प्रताप भानु शर्मा
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